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kahani - भगवान का नाम bhagwan ka naam

Moral story in hindi

भगवान का नाम

namaskar dosto , kabhi na kabhi to app sochte honge ki kyu india mai phle ke log bhagwan ka naam pr apne bachcho ka naam rakhte the. yhe  kahani apko iss saval ka javab de degi. iss kahani ko dhiyan se padhe . 

आज हम देखेंगे कि क्यों पुराने लोगों का नाम अक्सर भगवान के नाम (bhagwan ka naam)पर ही रखा जाता था। यह कहानी बहुत दिलचस्प है। 
kahani - भगवान का नाम  bhagwan ka naam

भगवान का नाम bhagwan ka naam


एक बार की बात है एक गांव में एक आदमी और उसकी पत्नी रहती थी। आदमी का नाम शौर्य था। शौर्य के जीवन में आए दिन कोई मुसीबत आती ही रहती थी। इस बात से शौर्य बहुत ही परेशान रहता था। वह बहुत से साधुओं के पास जाकर अपनी परेशानी बताता था। और सभी साथियों से भगवान का पाठ और भजन करने की सलहा थी । परंतु शौर्य अपने काम की वजह से भगवान के पाठ और भजन के लिए समय नहीं निकाल पाता था। शौर्य इस बात से भी बहुत दुखी होने लगा। एक बार एक साधु उसके घर पर भिक्षा मांगने आया। उन्हें देखकर शौर्य खुश हुआ। और उन्हीं से जाकर पूछने लगा कि," क्या आप मेरी समस्या का हल बता सकते हैं?", तो साधु कहता है ,"क्यों नहीं? अपनी परेशानी मुझे बताओ। ", शौर्य कहता है ,"आए दिन मेरे जीवन में कोई न कोई परेशानी आ ही जाती है। जब मैंने इसका इलाज महात्माओं से पूछा तो उन्होंने भगवान के पाठ और भजन करने को कहा। परंतु मैं अपने काम की वजह से भगवान के पाठ और भजन के लिए समय नहीं निकाल पाता। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?", साधु कहता है ,"मेरे पास इसका समाधान है। आने वाले समय में तुम्हारा कोई भी पुत्र या पुत्री हो। तो उसका नाम भगवान के नाम पर ही रखना।," इतना कहकर साधु भिक्षा लेकर वहां से चला गया। 1 साल बाद शौर्य के 1 पुत्र ने जन्म लिया। और शौर्य ने उस साधु की बात को ध्यान में रखते हुए अपने पुत्र का नाम नारायण रखा। उसके बाद शौर्य अपने पुत्र को जितनी भी बार नारायण कहकर पुकारता था। उतनी ही बात शौर्य नारायण भगवान का नाम लेता था। और नारायण भगवान को लगता था कि शौर्य उनका नाम लेकर उन्हें पुकार रहा है। शौर्य हर रोज अपने पुत्र को पुकारता था। और हर रोज नारायण भगवान को लगता था शौर्य उन्हें बुला रहा है। 1 दिन नारायण भगवान शौर्य के सामने प्रकट हो गए। उन्हें देख शौर्य बहुत ही खुश हो गया। नारायण भगवान शौर्य से पूछते हैं कि ,"तुम मुझे क्यों बुला रहे थे?", तो शौर्य कहता है कि ,"मैंने अपने पुत्र का नाम नारायण रखा था। क्योंकि 1 वर्ष के पहले मुझे एक साधु ने अपने पुत्र का नाम भगवान के नाम पर रखने को बोला था।," नारायण भगवान बहुत ही खुश हो गए। नारायण भगवान शौर्य से कहते है कि ,"मै यहा तक पंहुच ही गया हूँ तो  तुम अपनी कोई परेशानी बताओ मैं तुम्हारी परेशानी सुलझा कर ही जाता हूं।", शौर्य कहता है ,"प्रभु आए दिन मेरे जीवन में समस्याएं आती रहती है क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?", तो नारायण भगवान कहते हैं,"आज मै तुम्हे वरदान देता हूँ आज से तुम्हारे जीवन मै कोई भी संकट नहीं आएगा ", इतना कहकर नारायण भगवान वहां से चले जाते हैं। शौर्य अपनी सारी जिंदगी हंसते-हंसते बिताता है। सिर्फ इसीलिए पहले के लोग अपने पुत्र या पुत्री का नाम भगवान के नाम पर रखते थे।

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