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story in hindi - two brothers (दो भाई की कहानी )

Moral story in hindi

दो भाई की कहानी

नमस्कार दोस्तों , आज की कहानी में हम देखेंगे कि कैसे बड़े भाई से परेशान होकर  अपने बड़े  भाई को सबक सिखाया।  और इस कहानी का शीर्षक है दो भाई। 

story in hindi - two brothers (दो भाई की कहानी )


  दो भाई 
 आज की कहानी का शीर्षक है दो भाई। इस कहानी में हम देखेंगे कि कैसे एक परेशान छोटे भाई ने अपने बड़े भाई को सबक सिखाया। एक बार की बात है एक छोटे से गांव अबाबा में दो भाई साथ में एक घर में रहते थे। एक छोटा भाई और एक बड़ा भाई था। बड़े भाई का नाम था रोहन और छोटे भाई का नाम था मोहन। छोटा भाई यानी मोहन मेहनती था परंतु बड़ा भाई बहुत आलसी था रोहन अपना सारा काम मोहन से ही करवाता था। इन सब से मोहन बहुत दुखी और थका हुआ रहता था। एक दिन वह एक बगीचे में बैठा था। वहां उसे उसका दोस्त मिला। उसके दोस्त ने उसकी उदासी का कारण पूछा। मोहन   ने उसे सारी बात  बताई। यह सब सुनकर उसके दोस्त ने उसे कहा कि तुम अपने भाई से बटवारा करने के लिए क्यों नहीं कहते? बंटवारे की बात सुनकर मोहन को मन में संतुष्टि हुई। अगले ही दिन उसने अपने बड़े भाई रोहन से बंटवारे की बात की। रोहन आलसी के साथ-साथ बहुत चालाक भी था। उसने बंटवारे की बात स्वीकार कर ली। दोनों भाइयों के पास बंटवारे के लिए तीन चीजें थी। एक कंबल दूसरी भैंस और  तीसरा आम का पेड़। मोहन ने रोहन से कहा कि आप बड़े हैं इसलिए आप ही बटवारा करेंगे। चालाक रोहन ने  भोले मोहन की बात मान ली।  रोहन ने बड़ी चालाकी के साथ बंटवारा करना शुरू किया।  बंटवारे के लिए पहली चीज आई कंबल। रोहन ने कहा कि मोहन दिन में कंबल तुम्हारा होगा और रात में मेरा। दूसरी चीज    थी भैंस। रोहन ने कहा कि भैंस का आगे का हिस्सा तुम्हारा और पीछे का हिस्सा मेरा। और तीसरी चीज थी आम का पेड़। रोहन ने कहा कि आम के ऊपर का हिस्सा मेरा और नीचे का  हिस्सा तुम्हारा। अब रोज दिन में जब गर्मी पड़ती थी तो मोहन के कंबल कुछ काम ना आता और रात में जब ठंड पड़ती तब रोहन अपने पास कंबल लेकर ठंड से बच जाता लेकिन मोहन तो ठंड में ठंड से कांपता ही रहता था और  भैंस का आगे का हिस्सा मोहन का था इसलिए उसे भैंस को चारा खिलाना पड़ता था और पीछे का हिस्सा रोहन का था इसलिए वह मजे से दूध निकालकर पीता था। आम के पेड़ में ऊपर का हिस्सा रोहन का था इसलिए वह आम खाता रहता था और रोहन का नीचे का हिस्सा था इसलिए उसे रोज आम के पेड़ को पानी देना पड़ता था। यह सब चीजें तो  मोहन को और दुखी कर रही थी। इसलिए वह फिर से एक बार अपने दोस्त के पास गया और अपनी परेशानी  बताई। तो मोहन के दोस्त ने उसे अपने बड़े भाई को सबक सिखाने की एक युक्ति बताइए। और मोहन वह युक्ति सुनकर बहुत ही प्रसन्न होकर घर लौट गया। और अगले दिन मोहन ने अपने दोस्त की युक्ति का प्रारंभ कर दिया। दोपहर में कंबल मोहन का था इसलिए उसने कंबल को बहुत अच्छी तरह से धो दिया था और वह बहुत ज्यादा गिला हो चुका था और रात तक भी नहीं सुखा था उसके सूखने की संभावना सिर्फ सुबह तक ही थी। जब रोहन रात को ठंड में कंबल ले लिया तब उसे पता चला कि कंबल बहुत गिला है और उसने मोहन को बुलाकर  कंबल के गीले होने का कारण पूछा। मोहन ने कहा कि दिन में कंबल मेरा है मैं दिन में कंबल का कुछ भी करूं। और अगले दिन जब रोहन भैंस का दूध निकाल रहा था और मोहन उसे चारा खिला रहा था तब मोहन ने चारा खिलाते वक्त बहुत जोर से भैंस के मुंह पर लाठी मारी जिससे भैंस उछल पड़ी और  भैंस के उछलने से रोहन को जोरदार भैस की लात पड़ी तो रोहन जोरो से मोहन पर चिलाने लगा और मोहन ने जवाब दिया कि भैस के आगे का हिस्सा मेरा है मैं इसका कुछ भी करूं। जब रोहन पेड़ पर  बैठकर आम तोड़ने लगा तब मोहन एक बड़ी कुल्हाड़ी लाकर पेड़ को नीचे से काटने लगा। तभी रोहन चिल्लाया अरे यह क्या कर रहे हो? गिरा दोगे क्या?  तभी मोहन ने कहा कि पेड़ के नीचे का हिस्सा मेरा है मैं कुछ भी करूं। रोहन को अपनी गलती का एहसास हो चुका था और रोहन भी मेहनत करने लगा और उसने मोहन से माफी मांगी। इसी तरह छोटे भाई ने बड़े भाई को सबक सिखाया |

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