गरीब आदमी
नमस्कार दोस्तों आज की कहानी में हम देखेंगे की कैसे एक गरीब आदमी का जीवन एक अजीब सी कविता से पूरी तरह बदल जाता है।
गरीब आदमी
एक बार की बात है। एक गांव में एक परिवार रहता था। उस परिवार में पति-पत्नी और उनके दो बच्चे रहते थे। पति का नाम था श्याम। शाम के पास कोई नौकरी नहीं थी। जिस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगी। बचा कुचा पैसा भी खत्म होने लगा। नौकरी तलाशने पर भी कोई नौकरी नहीं मिल रही थी। श्याम की पत्नी एक लेखक रह चुकी थी। कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। तभी उन्हें खबर मिलती है कि पड़ोसी राज्य में राजा ने कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया है। जो भी पड़ोसी राज्य के राजा को सबसे अच्छी कविता सुनाएगा उसे ही बहुत सारा इनाम दिया जाएगा। यह खबर सुनकर शाम की पत्नी बहुत ही खुश हो गई। और सोचने लगी क्यों ना हम भी इसमें भाग ले। तो श्याम की पत्नी एक कविता बना देती है और कुछ खाने के साथ उस कविता को एक कागज पर लिखकर श्याम को देकर कहती है कि जाओ तुम्हें इस प्रतियोगिता में भाग लेना है और अब पूरी कोशिश करके इस प्रतियोगिता को विजय करना है। ताकि हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार आए। हमें अपने बच्चों को भी अभी पढ़ाना है। तो श्याम उसी दिन पड़ोसी राज्य के लिए निकल जाता है। पड़ोसी राज्य का सफर 1 दिन का था। तो वह रात को एक पेड़ के नीचे विश्राम कर लेता है। सुबह होने के बाद वह सोचता है क्यों ना मैं कविता पढ़ने का अभ्यास कर लूं? जैसे ही वह कविता का कागज निकालता है तभी अचानक से बहुत तेज हवा चलने लगती है और कागज श्याम के हाथों से उड़ जाता है और वह कविता खो जाती है। और श्याम बहुत ही परेशान और डर जाता है। यह सोचने लगता है ,"अगर मैं अभी यहां से घर लौट गया तो मेरी पत्नी मुझ पर गुस्सा करेगी और अगर मैं प्रतियोगिता में चला गया तो मैं वहां कौन सी कविता सुनाऊंगा| तभी वह सोचता है क्यों ना मैं खुद ही एक कविता बना लूं। तभी उसके सामने एक चूहा आता है।श्याम उस चूहे को देख कर छिप जाता है और चूहा जमीन खोदने लगता है। तो श्याम कहता है।
"खुदत खुदत क्या खोदते हो? "
तो चूहा सोचता है क्या कोई मुझे बोल रहा है? और फिर चूहा इधर-उधर देखने लगता है। तो श्याम कहता है।
"इधर उधर क्या देखते हो? "
तो चूहे को लगा शायद कोई मुझे ही कह रहा है। वह धीरे धीरे चल कर देखने लगा कि यह मुझे कौन बोल रहा है? तभी श्याम कहता है।
"धीरे-धीरे क्यों चलते हो? "
तू चूहे को लगा कोई ना कोई मुझे ही बोल रहा है तो वह डर कर भागने लगता है। तभी शाम कहता है।
"तबडक तबडक भागते हो!"
और श्याम सोचता है लो बन गई मेरी कविता। अब मैं प्रतियोगिता में जा भी सकता हूं और अपनी पत्नी के गुस्से से भी बच सकता हूं| फिर वह प्रतियोगिता स्थान पर पहुंच जाता है। पर वहां भाग लेने वाले प्रतियोगिताओं की संख्या बहुत ही ज्यादा थी। श्याम की बारी आते आते रात हो गई। पर जब श्याम की बारी आई। राजा के राज महल में जो राजकोष का कमरा था। उसके बाहर एक चोर आता है। और वह राजकोष के कमरे की दीवार को खोदने लगता है। उसी वक्त श्याम महल में जोर-जोर से गाने लगता है।
"खुदत खुदत क्या खोदते हो।"
तो उस चोर को लगा शायद किसी ने मुझे देख लिया है। तो वह चोर इधर-उधर देखने लगा। फिर श्याम जोर-जोर से गाने लगा।
"इधर उधर क्या देखते हो?"
दो चोर को लगा शायद कोई मुझे ही कह रहा है। तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ कर देखने लगा क्या सच में कोई उसे ही देख रहा है। फिर श्याम जोर-जोर से गाने लगा ,
"धीरे-धीरे क्यों चलते हो? "
तो चोर को लगा कोई उसे ही कह रहा है। वह डर कर भागने लगा| तभी श्याम जोर-जोर से कहता है कि।
"तबडक तबडक भागते हो!"
चोर को भागते देख राजा के सिपाहियों ने पकड़ लिया। राजा को श्याम की कविता बिल्कुल पसंद नहीं आई और राजा ने श्याम को जाने को कह दिया। उसी वक्त उस चोर को राजा के सामने प्रस्तुत किया गया। सिपाहियों ने राजा को सारी बात बताई। राजा ने चोर से पूछा ,"तुम राजकोष के दीवार को तोड़ने आए थे परंतु तुम वहां से भागने क्यों लगे?", तो चोर ने सब कुछ सही सही बता दिया। महाराज को समझ में आ गया कि जो कविता श्याम सुना रहा था उसी की वजह से आज राजकोष का धन बच गया। और महाराज श्याम से प्रसन्न हो गए। और उन्होंने श्याम को इनाम दिया और श्याम की नौकरी की व्यवस्था भी करा दी और श्याम खुशी-खुशी अपने घर चला गया।आपको यह कहानी कैसी लगि ? नीचे कमेंट करके बताएं। और अगर आप किसी भी तरह की कहानी चाहते हैं हिंदी या इंग्लिश भाषा में तो आप नीचे कमेंट करके हमें कहानी के लिए बता सकते हैं स्टोरी दुनिआ आपको हर तरह की कहानी प्रस्तुत करेंगा ।
1 comment:
Funny!!
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