नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको देश के ग्यारहवे राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जिन्हे मिसाइल मैन भी कहा जाता है उनका पूरा जीवन परिचय जानिए। कैसे एक गरीब परिवार के बच्चे ने आगे चलकर देश की प्रगती मे बहुत बड़ा योगदान दिया। महान वैज्ञानीक और भारत के ग्यारहवे राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने हमें बताया है की शुरुआत कही से भी हो मुश्किलें कितनी भी हो अगर आप कुछ भी ठानले तो सब कुछ संभव है।
जब अब्दुल कलाम आठ वर्ष के थे , एक साइक्लोन तूफान आया और इनकी नाव को बहा ले गया। उसके बाद इनकें परिवार के लिए जीवनयापन करना मुश्किल हो गया। दो वक्त की रोटी भी मुश्किल हो गई . उस मुश्किल घडी में भी अब्दुल कलाम ने अपनी पढाई नहीं छोड़ी। उनके इस पढ़ाई के प्रति गहरी रूचि देखकर घरवालों ने भी उन्हें पढ़ने से नहीं रोका।
शिक्षा ग्रहण करने में एपीजे अब्दुल कलम का कठिन सफर
कलाम को अपनी पढाई को जारी रखने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। उन्हें इस छोटी सी उम्र में ही पैसे कमाने के लिए अख़बार तक बेचने पड़े। वे सुबह 6 - 7 बजे उठते थे और रात को 2 बजे तक सोते थे। कलाम को गणित में विशेष रूचि थी , जिसमे वे घंटो अभ्यास किया करते थे। स्वार्ट्ज़ हायर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की और तिरुचेरापल्ली चले गए जहाँ उन्होंने सेंट जोज़फ कॉलेज में दाखिले के लिए अपनी बहन की मदद लेनी पड़ी क्योंकि दाखिले के लिए 1000 रुपये की जरुरत थी जोकि उनके पास नहीं थे। उनकी बहन ने अपनी सोनेकी चुडिया बेचीं और उन पैसो से कलाम का दाखिला करवाया। 1954 में ग्रैजुएशन पूरी की और मद्रास चले गए। वहां उन्होंने मद्रास इंस्टिट्यूट एंड टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग पास की।
कलाम साहब इंडियन एयरफोर्स से जुड़ना चाहते थे , वे इसमें सेलेक्ट भी हो गए लेकिन उनकी 9 वी पोजीशन आने से उन्हें नहीं चुना गया क्योंकि उसमे आठ सीटें ही थीं। इस बात से वे काफ़ी नरवस थे। 1960 में कलाम साहब ने एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट के साथ एक वैज्ञानिक के रूप में जुड़े। उन्होंने अपना कैरिएर एक छोटे से बोएरक्राफ्ट के डिज़ाइन से चालू किया। वे इंकसपर कमिटी में भी शामिल थे जिसमे उन्होंने विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया। विक्रम साराभाई एक जाने माने स्पेस साइंटिस्ट थे।
1969 में कलाम साहब का इसरो इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन अर्थात इसरो में तबादला हो गया। वहा पर वे इंडिया के पहले सेटेलाइट लांच व्हीकल जोकि एसएलवी 3 में प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे। इस व्हीकल ने रोहिणी सेटेलाइट को धरती के ऑरबिट में रखा। इसके बाद कलाम साहब नेएक्सपेंडेबल राकेट प्रोजेक्ट पर अकेले ही काम करना शुरू किया। भारत सरकारने उनके प्रोजेक्ट को अनुमति प्रदान कर दी और उस पर एक टीम भी बनाने को कहा। फिर वे नासा रेसच सेन्टर गए। राजा रमन्ना ने उनको भारत के पहले परमाणु परिक्षण स्माइलिंगबुद्धा को देखने के लिए बुलाया। कलाम साहब ने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वेलिएन्ट पर काम करते हुए बैलेस्टिक मिसाइल बनाई। यूनियन कैबिनेट ने कलाम साहब के प्रोजेक्ट को अनुमति नहीं दी,फिर भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने गुप्त रूप से धन देकर उनके एयरोस्पेस के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कहा। बाद में प्रोजेक्ट के पूरा होने पर यूनियन कैबिनेट को उस प्रोजेक्ट की विशेषता के बारे में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने बताया। जिसे सुनकर पूरी कैबिनेट ने उन्हें बहुत बहुत बधाई दी। उसके बाद कलाम साहब को भारत सरकार ने मिसाईल प्रोग्राम चालू करने के लिए कहा। इसके बाद कलाम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अनेको मिसाईल प्रोग्राम बनाये और उसमे सफलता हासिल की। उनको नाम मिसाईल मैन कहा जाने लगा। अग्नि और पृथ्वि मिसाईल बनाने में भी कलाम साहब का ही योगदान था। 1992 से 1999 तक चीफ साइंटिफिकएडवाइजर रहे। इस दौरान उन्होंने पोकरण 2 न्यूक्लियर का परिक्षण भी किया।
नेशनल डेमोक्रेटिक अलाइंस की तरफ से उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी श्रीमती लक्ष्मी सहगल को करीब सात लाख वोटो से हराकर 10 जून 2002 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति बने।
बाद में उन्होंने "इंडिया 2020 ,विंग्स ऑफ़ फायर और इग्नाइटेड माइंडस जैसी बहुमूल्य किताबें लिखी। कलाम साहब सबके लिए एक प्रेरणा स्त्रोत थे, खासकर युवाओ के लिए।
उनका कहना था कि "सपने वो नहीं होते जो सोने के बाद देखते हैं , सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते हैं। "जीवन में कठिनाइयां हमें बर्बाद करने नहीं आतीं हैं बल्कि हमारे हुए सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकालने में हमारी मदद करती हैं। कठिनाइयों को यह जान लेने दोकि आप उनसे भी ज्यादा कठिन हो."
एपीजे अब्दुल कलम की लिखी गयी कुछ बहुमुल्ये पुस्तके
- टर्निंग पॉइंट्स (TURNING POINTS)
- टारगेट 3 बिलियन (TARGET 3 BILLION)
- मिशन इंडिया (MISSION INDIA)
- इंडिया 2020 (INDIA 2020)
- विंग्स ऑफ़ फायर (WINGS OF FIRE)
- इग्नाइटेड माइंडस (IGNITED MINDS)
- इन्डोमीटाब्ले स्पिरिट (INDOMITABLE SPIRIT)
- द लुमिनोस स्पार्क्स (THE LUMINOUS SPARKS)
- गाइडिंग सोल्स (GUIDING SOULS)
- इन्स्पिरिंग थॉट्स (INSPIRING THOUGHTS)
- फैलियर टु सक्सेस (FAILURE TO SUCCESS)
राष्टपति अब्दुल कलाम साहब ने सुखोई 30 एम के आई फाइटर प्लैन की सवारी भी की थी। कलाम साहब को "भारत रत्न ,पदम् भूषण ,पदम् विभूषण और रामानुजम अवार्ड जैसे कई सम्मान प्राप्त हुए। 2007 में उनका राष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा हुआ। उनकी दुबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की इच्छा थी किन्तु उन्होंने बाद में मन कर दिया। बाद में उन्हें शिर्लोग , इंदौर और अहमदाबाद के आईआईएम का विजिटिंग प्रोफेसर बनाया गया। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस टेक्नोलॉजी ,तिरुअंनतपुरम का चांसलर बने।अन्ना युनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी थे। 2012 में उन्होंने भारत के युवाओं के लिए एक प्रोग्राम बनाया "व्हाट केन आई गिव मूवमेंट "जो कि भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए था।
27 जुलाई 2015 को आई आई एम (IIM) शिर्लोग में "क्रिएटिंग लिवेबल प्लानेट अर्थ "पर एक लेक्चर देना था। वे सीढियाँ चढ़ रहे थे तो बैचेनी महसूस हुई। ऑडिटोरियम में जाने के बाद उन्होंने थोड़ा आराम किया। शाम को 6.35 बजे उन्होंने अपना लेक्चर देना शुरू किया। 5 मिनट के बाद वे वहीँ पर गिर गए। उन्हें बेथानी हॉस्पिटल ले जाया गया। 7 बजकर 45 मिनट पर उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया। उनके आखरी शब्द थे जो उन्होंने जनपाल सिंह से कहे थे -" funny guy Are you doing well ? "
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